आज हम बात करने वाले है कि सोलर पैनल के द्वारा दिष्ट धारा या डायरेक्ट करंट ( DC ) ही क्यों बनती है, यह प्रत्यावर्ती धारा या अल्टरनेटिव करंट ( AC ) क्यों नहीं बनता है | इसके साथ ही बात करेंगे कि कौनसा करंट ज्यादा प्रभावी होता है तथा किस करंट से ज्यादा खतरा होता है | इसके साथ जो बैटरी होती है उसमे आपको DC करंट ही देखने को मिलता है, AC करंट की बैटरी आपको मार्केट देखने को नहीं मिलती है |
दिष्ट धारा या डायरेक्ट करंट ( DC ) की खोज करने वाला
जैसा आपको पता है कि DC करंट की खोज थॉमस एडिसन ने की थी तथा अल्टरनेटिव AC करंट की खोज निकोला टेस्ला ने की थी | इसमें DC करंट की खोज पहले तथा AC करंट की खोज बाद में की गई थी | इन दोनों ही करंट के कुछ फायदे है तथा कुछ नुकसान है जिनके बारे में हम आगे बात करेंगे |
AC व DC करंट कैसे काम करती है ?
डायरेक्ट करंट में इलेक्ट्रान एक ही दिशा में गमन करते है | इस कारण इनमे कोई फ्रीक्वेंसी नहीं होती है | यह हम कहे कि DC करंट के तरंग की दिशा समय के साथ नहीं बदलती है |
जबकि अल्टरनेटिव करंट AC में तरंग की दिशा समय के साथ बदलती है | यानि कि इसके वोल्टेज एक बार हाई पीक पर जाते है | तथा एक बार वोल्टेज लो पीक पर जाते है | इसकी फ्रीक्वेंसी भारत में 50 Hz होती है | अलग – अलग देशो में इसकी अलग – अलग फ्रीक्वेंसी होती है |
कौनसा करंट ज्यादा पावरफुल होता है ?
जैसा की आपको पता है कि डायरेक्ट करंट DC में करंट का फ्लो एक दिशा में होता है | जबकि अल्टरनेटिव AC करंट में हमें फ्रीक्वेंसी मिलती है तथा इसके वोल्टेज एक बार हाई तथा एक डाउन होते है | यही कारण होता है जहाँ हमें हाई पॉवर के करंट की जरुरत होती है वहां पर DC या डायरेक्ट करंट को काम में लिया जाता है |
उदाहरण के लिए ट्रेन का इंजन डायरेक्ट करंट के द्वारा ही चलता है |
करंट की क्षमता या एफिशीयेंसी
जैसा कि आपको पता है DC करंट एकदिशीय होता है जबकि AC अल्टरनेटिव करंट एक बार लो पीक तथा एक बार हाई पीक पर होता है | इसे एक उदहारण के द्वारा समझते है |
एक आदमी 5 किलोमीटर की दुरी एक ही बार में भाग के तय कर लेता है जबकि दूसरा आदमी इसे थोड़ी देर में रुककर तथा फिर दोड़ता है वापस रुकता है, वापस दोड़ता है इस प्रकार तय करता है | तो इस केस में एक ही बार में 5 किलोमीटर की दुरी तय करने वाला आदमी ज्यादा थकता है तथा उसे एनर्जी का लोस ज्यादा होता है | तथा दूसरा व्यक्ति कम थकता है |
यही केस DC तथा AC करंट में भी होता है | DC डायरेक्ट करंट में करंट की दिशा एक ही दिशा में होने के कारण इसमें प्रतिरोध का मान बढ़ जाता है | तथा करंट के फ्लो में ही करंट का काफी लोस हो जाता है |
इसकी कारण से सोलर पैनल से इन्वर्टर की दुरी को काफी कम रखा जाता है ताकि करंट का लोस कम हो तथा सोलर से बनने वाली करंट का लोस न हो |
इसकी तुलना में अल्टरनेटिव AC करंट में करंट का लोस काफी कम होता है | इसलिए हमारे घरो में भी AC करंट आता है |
इसको दुसरे उदाहरण से समझे तो ट्रेन DC करंट से चलती है | लेकिन इसके उपर जो वायर लगे होते है उनमे अल्टरनेटिव करंट AC बहता है | इस करंट को ट्रेन में लगे रेक्टिफायर से DC डायरेक्ट करंट में बदला जाता है तथा इससे ट्रेन आगे बढती है |
DC डायरेक्ट करंट को अल्टरनेटिव AC करंट में बदलने के लिए इन्वर्टर का प्रयोग किया जाता है |
अल्टरनेटिव AC करंट की बैटरी मार्केट में क्यों नहीं है ?
जैसा कि हम जानते है डायरेक्ट करंट एकदिशीय होता है जबकि अल्टरनेटिव करंट AC में इसकी फ्रीक्वेंसी उपर नीचे होती रहती है |
इसको यदि हम एक उदहारण द्वारा समझें तो एक बर्तन में शांत पानी को भर के रखना आसान होता है | लेकिन वहीँ उस बर्तन में एक केमिकल को जिसमे उबाल आ रहा है उसे स्टोर करके रखना कठिन होता है |
यही कारण है है डायरेक्ट DC करंट एक दिशीय होने के कारण इसे स्टोर करना आसान होता है लेकिन अल्टरनेटिव AC करंट में यह पोसिबल नहीं हो पाता है | इसी कारण बैटरी DC करंट वाली बनाई जाती है |
ऑफ़ ग्रीड सोलर सिस्टम में वोल्टेज क्यों नहीं बढाते है ?
ऑफ ग्रीड सोलर सिस्टम में सोलर पैनल के साथ साथ इन्वर्टर तथा बैटरी लगे होते है | इस कारण से बैटरी के ओवर चार्ज को रोकने के लिए ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम में वोल्टेज को कम रखा जाता है |
जबकि ओन ग्रीड सोलर सिस्टम में सोलर सिस्टम से हाई वोल्टेज का करंट भी आता है तो इन्वर्टर उसे सीधा ही AC में कन्वर्ट करके ग्रीड में भेज देता है | इसलिए ओन ग्रीड सोलर सिस्टम वोल्टेज को हाई रखा जाता है |
सोलर में फ्रॉड कैसे होता है
जब आप सोलर पैनल खरीदने जाते है तो सोलर विक्रेता आपको लाइव प्रैक्टिकल सिर्फ वोल्टेज चेक करके दिखाते है | जिसकी तुलना वे पैनल के पीछे लगे टेक्निकल स्टीकर से करते है | लेकिन वे आपको सोलर पैनल से कितने एम्पियर बन रहे है यह नहीं दिखाते है | जो की सबसे जरुरी होता है | यानि कि वोल्टेज का काम सिर्फ करंट को आगे बढ़ाना होता है | जो नार्मल धुप में भी आ जाते है | लेकिन एम्पिअर के लिए आपको अच्छी धुप चाहिए होती है |
इस कारण कई सोलर पैनल से बैटरी भी चार्ज नही हो पाती है | इसलिए आप हमेशा एम्पियर चेक करके ही सोलर पैनल ख़रीदे |
कौनसा करंट ज्यादा खतरनाक है ? AC या DC
यहाँ पर कई अलग अलग थ्योरी होती है | जिसमे कही AC करंट को ज्यादा खतरनाक बताया गया है तथा कही DC करंट को ज्यादा खतरनाक बताया है |
यहाँ पर हमारा मानना है अल्टरनेटिव AC करंट DC करंट की तुलना में ज्यादा खतरनाक होता है |
इसका कारण यह है कि हमारे घर में 230 वोल्ट आते है | लेकिन यह इसकी RMS वेल्यु होती है | जबकि 230 वोल्टेज हाई पीक पर जाते है तो यह 300 वोल्ट तक बढ़ जाते है |
लेकिन DC के केस में अगर आपको बताया है कि यहाँ 200 वोल्टेज है तो वहां पर 200 वोल्ट ही रहते है |
वहीँ अगर किसी को AC करंट का शोक लगता है तो व्यक्ति वहां पर चिपकता नहीं है लेकीन DC करंट का शोक लगने पर व्यक्ति वहां पर चिपक जाता है | इस कारण लोग कहते है कि DC करंट ज्यादा खतरनाक होता है |
क्या DC करंट को छूने से झटका नही लगता है पूरा मिथ्या
कई लोग कहते है कि DC करंट को छूने से शोक नहीं लगता है | जबकि ऐसा नहीं है | सोलर पैनल लगते वक़्त हम 12 वोल्ट, 24, वोल्ट तथा ज्यादा से ज्यादा 48 वोल्ट यूज़ करते है | जिसमे शोक या करंट नहीं लगता है | जबकि हमारे घर में 230 वाल्ट करंट आता है | यही 230 वोल्ट अगर DC करंट में हो तो हमें शोक अवश्य लगेगा तथा कई लोगो की इसमें जान भी जा चुकी है | तो आप ऐसा न करे |
सोलर पैनल डायरेक्ट DC करंट को इसलिये उत्पादन करते है क्योकि उनमे इलेक्ट्रोनो का प्रवाह एक दिशा में ही होता है | इसलिए सोलर पैनल AC करंट प्राप्त नहीं होता है |
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