शहद कैसे बनता है ? कच्चा शहद क्या है शहद के फ्लेवर्स तथा उनके फायदे !

@ खेतिकिसानी

साथियों आज हम बात करने वाले है, शहद के बारे में | शहद एक बहुत ही मीठा तथा स्वादिस्ट खाद्य पदार्थ होता है | जिससे हमारे शरीर को कई प्रकार के पोषक तत्व, विटामिन, तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता या इम्युनिटी प्राप्त होती है जो बाहरी रोगों से हमारे शरीर को लड़ने में मदद करती है |

साथियों आज इस आर्टिकल में हम शहद के बारे में पूरी जानकारी तथा शहद के नाम पर बाज़ार में कंपनियों की इसमें मिलावट के बारे में बात करेंगे |

शहद कैसे बनता है :-

साथियों हम सभी जानते है कि शहद को मधुमक्खियों द्वारा फूलो के रस को सोंखकर कर बनाया जाता है | मधुमक्खियाँ फूलों का रस खेतो, पेड़-पौधो से सोंखकर छत्ते में एकत्रित कर बनाती है | श्रमिक मधुमक्खियां फूलों से रस इकठ्ठा कर छत्ते में उपस्थित अन्य श्रमिक मक्खियों के मुहं में डालती है फिर वह मक्खी के पेट में जाकर गाढ़ा होता है और फिर वह मक्खी अपने पेट (अन्य पेट जो खाने के पेट से अलग होता है)में गाढ़े हुए शहद की ‘उल्टी’ कर दूसरी मक्खी के मुहं में डाल देती है और उसके पेट में शहद और भी गाढ़ा होता है। इस तरह जब शहद में पानी की मात्रा लगभग 15-18% रह जाती है तो मक्खियाँ उसे अपने भोजन के रूप में इस्तेमाल करने के लिए छत्ते में संगृहीत कर लेती है।

शहद की खेती

साथियों शहद को मधुमक्खियों को पालकर उनसे प्राप्त किया जाता है | इसकी खेती को एपिकल्चर कहा जाता है | साथियों शहद की खेती को कोई भी नही कर सकता है | इसके लिए आपको मधुमक्खी पालन के बारे पूरी जानकारी होना जरूरी होता है | जिसकी रूचि मधुमक्खी पालन में होती है वही शहद की खेती करता है |

इसके लिये लकड़ी के बॉक्स में लोहे की जाली लगे हुए बॉक्स बाज़ार उपलब्ध होते है | उन्हें लाकर सरसों, अजवाइन, या किसी फूलदार बगीचे के पास 6 – 6 फीट की दुरी पर रख दिया जाता है | फिर मधुमक्खियां आकर उन बक्सों में बैठती है तथा छत्ता निर्माण करती है | फिर मधुमक्खियाँ उन छत्तों में खेतो से या पेड़-पोधो के फूलों से रस लाकर उस छत्ते के खानों में भर देती है | इसके बाद 1 से 2 महीनो में शहद तैयार हो जाता है |

शहद मधुमक्खी का भोजन होता है | उनकी भोजन आपूर्ति के बाद जो अतिरिक्त शहद बचता है, उस शहद को मधुमक्खी पालक द्वारा एकत्रित कर लिया जाता है |

विटामिन-बी, खनिजों और एंटी ऑक्सीडेंट्स का भंडार शहद में मौजूद होता है और इसे ऐसी पुरानी दवाओं में गिना जाता है जिन्हें आज भी इलाज करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

एक अनुमान के मुताबिक औसतन, प्रत्येक मधुमक्खी अपने जीवनकाल में लगभग 1/12 चम्मच शहद का उत्पादन कर सकती है। यदि मधुमक्खी 500 ग्राम शहद प्रदान करती है, तो उसे लगभग 2 मिलियन फूलों का दौरा करना होगा। एक पूरी कॉलोनी को अपने जीवनकाल में लगभग 80000 से 100000 किलोमीटर की दूरी तय करनी होगी। जी हाँ यह कोई छोटी बात नहीं है !!

कच्चा शहद क्या है ?

कच्चा शहद या रो हनी वह होता है जब मधुमक्खी शहद को फूलों से लाकर छत्ते के खानों में भरती है तो मधुमक्खी पालक द्वारा 15 से 20 दिनों में ही उस शहद को छत्ते से निकाल लिया जाता है | तथा कपडे से छान लिया जाता है | वह शहद कच्चा शहद कहलाता है |


साथियों बाज़ार में मिलने वाले कच्चे शहद को ज्यादा तापमान पर गर्म किया जाता है | जिससे उसकी गुणवत्ता घट जाती है |

शहद के फ्लेवर्स तथा उनके फायदे

साथियों बाज़ार में हमें एक ही कलर तथा गंध का शहद मिलता है | लेकीन शहद के कई प्रकार होते है, जेसे सरसों का शहद, अजवाइन का शहद, शीशम का शहद, बेर का शहद आदि | साथियों ये सारे शहद के प्रकार सिर्फ आपको एक मधुमक्खी पालक के पास मिलेंगे | बाज़ार में आपको शहद के अलग अलग फ्लेवर्स देखने को नही मिलते है |

अजवाइन शहद

अजवाइन के शहद को तैयार करने के लिए मधु या शहद एकत्रित करने वाले बक्सों को अजवाइन के खेत के पास रख दिया जाता है | जिससे मधुमक्खियाँ अजवाइन के फूलो से ही रस लाकर छत्ते में एकत्रित करती है | तथा इस तरह हमें अजवाइन का शहद प्राप्त होता है |

साथियों अजवाइन के शहद के कई सारे फायदे होते है | जेसे पेट कि गैस, कब्ज, एसिडिटी को भी यह शहद दूर करता है |

बेर शहद

अगला है बेर का शहद | हाँ साथियों बेर का भी शहद होता है | मधुमक्खी पालक जंगलो में मिलने वाले छोटे-छोटे बेर के पोधो को चिन्हित करते है | फिर बेर के पौधों के फुल आने से ठीक पहले वहाँ मधुमक्खियों के बक्सों को उनके पास रख आते है जिनमे उनके छत्ते होते है | इससे मधुमक्खियाँ बेर के फूलों का ही रस एकत्रित कर पाती है क्योकी मधुमक्खियाँ फूलों का रस लेने के कभी भी ज्यादा दूर नही जाती है | इससे हमें बेर का शहद प्राप्त होता है |

इसकी पहचान यह है कि इसके उपर आपको क्रीम दिखाई देती है जिससे यह काफी स्वादिष्ट होता है |

सरसों शहद क्रीम हनी

साथियों सरसों का शहद बहुत महँगा होता है, जिसे क्रीम हनी भी कहते है | जो कि सर्दियों 4 से 5 दिन पड़ा रहने पर जम जाता है | जो काफी फायदेमंद होता है |

इसी प्रकार अन्य शहद जेसे सरसों का शहद, शीशम का शहद आदि को भी इसी प्रकार प्राप्त किया जाता है |

मिलावटी कंपनियों के बारे में हमारी राय

साथियों आप और हम सभी जानते है कि शहद मधुमक्खियों के अलावा और कोई नहीं बनाता है | तो आप या सोचिये कि ये कम्पनियां इतनी ज्यादा मात्रा में शहद का उत्पादन करके केसे बेच रही है | इतने कम समय में इतने शहद के ब्रांड केसे तैयार किये जाते है |


निश्चित तौर पर ये कम्पनियाँ शहद में मिलावट कर मिलावटी शहद बेचती है तथा आम लोगो, जनता की सेहत के साथ खिलवाड़ करती है | तथा मिलावटी शहद खाने से केंसर जेसी घातक बीमारी भी हो सकती है | साथियों ये कंपनियां ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए इसमें सिरप मिला देती है फिर आपको शुद्ध शहद कहाँ से प्राप्त होगा ?


साथियों हमारा आपसे आग्रह है कि आप जब भी शहद ख़रीदे तो किसी मधुमक्खी पालक से ही ख़रीदे | वह शहद ही असली शहद होता है | बाकि बाज़ार में मिलने वाला शहद 90% केस में मिलावटी ही पाया गया है |

आसान भाषा में समझने के लिए विडियो देखे

आप सभी से अनुरोध है कि आप किसानो से ही शहद ख़रीदे जिससे उन्हें भी रोजगार सृजन का अवसर मिले तथा आपका परिवार मिलावटी शहद से होने वाली बीमारियों से बच सके |

साथियों आशा करते है आपको इस आर्टिकल को पढ़कर कुछ अच्छी जानकारी जरुर मिली होगी जिससे आप स्वस्थ रह सके, धन्यवाद |


शहद खरीदने के लिए आप यहाँ सम्पर्क कर सकते है |

मधुमक्खी पालक गांव – गुड़ साल तहसील – मंडी आदमपुर जिला – हिसार (हरियाणा )

Call – 97726 08722 , 98120 54277

@टेक मेवाड़ी

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