अगर आपके यहाँ भी है यूरिया की किल्लत तो अपनाए ये उपाय : दही करेगा यूरिया से कही ज्यादा फायदा
साथियों, जैसे ही रबी की फसल की बुवाई का समय आता है तो किसानो के द्वारा रासायनिक उर्वरकों का उपयोग बढ़ जाता है तथा इसकी खपत बढती जा रही है | इन सभी में यूरिया का उपयोग सर्वाधिक किया जाता है | यूरिया पौधो के वृधि में सहायक होता है | इन दिनों राजस्थान के कई इलाको में यूरिया की कमी आ रही है | लोगो को यूरिया की 1 से 2 बोरी भी नहीं मिल पा रही है | जिस कारण किसानो को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है |
तो आप सभी किसान भाइयों के लिए खुश खबरी है | आप अपने खेत में देसी गाय के दूध से बने दही का उपयोग करके ही यूरिया की भरपाई कर सकते है | तथा अपने रासायनिक उर्वरको की लागत के पैसो को भी बचा सकते है |
तो आइये जानते है कि इस दही को कैसे तैयार किया जाता है |
दही से यूरिया कैसे तैयार करें ?
इस दही को बनाने के लिए सबसे पहले आप एक मिट्टी के बर्तन या मटके में देसी गाय का 2 किलो दूध ले लीजिये | इसके बाद आप इसे अच्छी तरह गरम कर ले तथा इसे ठंडा होने दीजिये | जब यह गरम दूध गुनगुना हो जाये तो इसमें थोडा सा दही या छाछ मिला ले इसके बाद आप देखेंगे कि अगले दिन बिलकुल फ्रेश दही तैयार हो जायेगा | इसके बाद इस दही में एक ताम्बे का टुकड़ा यह चम्मच डाल दे | तथा इसे 8 से 15 दिनों के लिए ढककर छाया में रख दे, | इसके बाद आप इस मटके में से तांबे के टुकड़े को निकाल लीजिये | इसके बाद दही आपको बिलकुल हरे तार के सामान दिखाई देगा |
5 लीटर मिश्रण बनाने के लिए आप दो किलो दही में 3 लीटर पानी मिला दीजिये | यह मिश्रण एक एकड़ फसल के लिए पर्याप्त है | इस मिश्रण को आप स्प्रे मशीन में पानी के साथ मिलाकर छिडकाव कर दीजिये | ऐसा करने से आपकी फसल के पौधे 25 से 45 दिनों तक हरे रहेंगे | क्योकि उनमे नाइट्रोजन की कमी नहीं रहेगी | इससे आपकी फसल हरी भरी हो जाएगी |
कौन कौन सी फसलो पर कर सकते है, छिडकाव !
इस प्रकार से बनाये गए दही के मिश्रण को आप सभी प्रकार की फसलों जैसे गेहूं ,मक्का, आम, केला, सभी प्रकार की सब्जियाँ, लीची, धान,गन्ना, आदि पर आप छिडकाव कर सकते है |
दही के उपयोग के लाभ क्या क्या है
पानी की बचत
दही का उपयोग खेतों में फसलो पर करने से कई प्रकार के लाभ है | इससे खेतो में 15 दिनों तक सिंचाई करने की आवश्यकता नहीं होती है | इसलिए प्रति एकड़ 1000 रुपये आप बचा सकते है | तथा कीटनाशको को मारने के लिए यूरिया तथा कीटनाशको का कुल खर्च 3500 रुपये प्रति एकड़ होती है | जबकि 100 रुपये में आज प्रति दो किलो के हिसाब से बाज़ार में दही मिल जाता है | इस प्रकार दही के प्रयोग से कृषि की लागत का 95 % बच जाता है | तथा खेती में फसल की पैदावार में भी 15 % की वृधि हो जाती है |
बगीचे में उपयोगी
इस दही का उपयोग बगीचे में पौधो पर फल आने से 25 दिन पहले किया जाता है | यह बगीचे के पौधो को फोस्फोरस तथा नाइट्रोजन प्रदान करता है | इससे बगीचे की फसलो को जैविक खाद मिल जाता है | तथा सभी पोधो पर फल एक सामान तैयार होते है |
कीटनाशक के रूप में
तैयार किये गए दही में अगर आप नीम का तेल तथा मेथी का पेस्ट मिलाकर छिडकाव करते है और अगर आप इसे कीटनाशक के रूप में स्प्रे करते है तो यह आपकी फसल को कई प्रकार की बीमारियों जैसे फंगस नहीं लगने देगा | इससे फसलो नाइट्रोजन मिलती है | यह कीटनाशक के रूप में कार्य करता है | तथा फसल के अनुकूल किटो से बचाता है |
देसी खाद के रूप में
दही का उपयोग मिट्टी में खाद के रूप में भी किया जाता है | इसे 2 किलो दही प्रति एकड़ के हिसाब उपयोग किया जाता है | अगर आपके खेत की मिट्टी में माइक्रोबियल बेक्टीरिया की मात्रा अधिक है तो आप इसका प्रयोग कर सकते है | ऐसा करने से आपी फसलो पर 25 % उत्पादन बढ़ जाता है |
पानी की खपत कम हो जाती है | 300 ग्राम दही में 300 ग्राम सेंधा नमक मिलाकर इस मिश्रण का 300 ग्राम छिडकाव करने खेत में 15 दिनों तक पानी की जरूरत नहीं पड़ती है |
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