भारत की प्रथम सौर उर्जा चलित नौकायान
साथियों, आज बढ़ते प्रदुषण के साथ सौर उर्जा का महत्व तथा उपयोग बढ़ता जा रहा है | सौर उर्जा ग्रीन एनर्जी कहा जाता है क्योंकी इससे पर्यावरण प्रदूषित नहीं होता है
| साथियों आज हम E बाइक, E कार या ऐसे बहुत से उपकरणों के बारे में जानते है जो सौर उर्जा से चलते है |
दोस्तों आपके मन में भी यह सवाल कभी न कभी आया ही होगा कि क्या नाव या नौका भी सौर उर्जा से चल सकती है क्या ? साथियों इसका जवाब है हाँ चल सकती है | चल सकती हैं क्या ऐसी नाव भारत में बन चुकी है तथा यह काम में ली जा रही है |
तो आइये जानते है इस अनोखी नाव के बारे में सम्पूर्ण जानकारी |
भारत की पहली सौर उर्जा चलित नौकायान
भारत की पहली नौका कोच्ची केरल में किया गया | इस नौकायान का नाम “आदित्य” रखा गया था जिसकी रुपरेखा अंतर्राष्ट्रीय कम्पनी “नोवाल्ट” द्वारा तैयार की गई | तथा इसका निर्माण भारतीय कम्पनी “नवगति” के द्वारा किया गया था | यह कम्पनी नोवाल्ट कम्पनी का ही एक भाग थी | जिसमे फ़्रांस की दो और कम्पनियां शामिल थी |
आदित्य नौका का निर्माण कैसे हुआ
इसे केरल के कोच्ची शहर में वाइकोम और तवनकादावु के बीच चली गई थी | जिनके बीच की दुरी 2.5 किलोमीटर थी जिसे महज 25 मिनट में ही पूरा कर लिया गया था |
यह नाव 20 मीटर लंबी तथा 7 मीटर चोडी है जो 140 वर्ग मीटर की सौर पट्टिका से ढकी हुई है | इसकी उर्जा उत्पादन क्षमता 20 किलोवाट है |
यह नौकायान दो जहाजी बेड़ों में विभाजित है | जिसमे 20 किलोवाट उत्पादित उर्जा से दो बिजली की मोटर संचालित होती है | प्रत्येक बेड़े में एक मोटर लगी हुई है जिससे कभी अगर एक मोटर न चले तो दूसरी से नाव संचालित हो जाती है जिससे संचालन में कोई दिक्कत नहीं आती है |
यह नौका दो जहाजी बेडो में विभाजित होने कारण 10 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ़्तार से चलती है | इस नौकायान में 50 किलोवाट की क्षमता वाली 700 किलोग्राम की लिथियम आयन बैटरी लगाईं गई है | इसका निर्माण तथा योजना चित्र नवगति कम्पनी तथा navalt energy कम्पनी के विशिष्ट अनुभव द्वारा किया गया |
जलगतिक परिक्षण तथा कार्यप्रणाली
इसे केरल के कोच्ची शहर में जलमार्ग वाइकोम से तवनकादावु के बीच संचालित किया जाये तो इनके बीच की दुरी 2.5 किलोमीटर है जिसे आदित्य नौकायान ने 10 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से मात्र 25 मिनट में ही पूरा करने की क्षमता रखती है | जिसके लिए लगभग 16 किलोवाट उर्जा की आवश्यकता होगी |
संचालन के दौरान घाट ( किनारा ) छोड़ने और पहुँचने के समय लगभग 22 किलोवाट उर्जा की आवश्यकता होगी | अतः यात्रा पूर्ण होने तक नौका की औसत उर्जा आवश्यकता 20 किलोवाट उर्जा की आवश्यकता होगी | यदि यात्रियों के आगमन और प्रस्थान के समय को छोड़ दे तो एक दिन में यह नौकायान कुल 5.5 या साढ़े पांच घंटे तक लगातार चलित हो सकती है |
मोटर की कार्यप्रणाली
संचालन करते समय अधिकतम 22 किलोवाट तथा न्यूनतम 16 किलोवाट की उर्जा खपत को ध्यान में रखकर 20 किलोवाट की दो मोटर ( प्रत्येक बेड़े में एक – एक ) लगाई गई है | प्रणाली की विफलता के मामले में अतिरिक्त सुरक्षा के लिए प्रत्येक जहाजी बेड़े में लगे गई मोटर दोनों एक दुसरे पर निर्भर नहीं है | यदि नाव को चलाते समय एक मोटर में खराबी आ जाये तो दूसरी मोटर का उपयोग कर किनारे पर सुरक्षित पहुँचा जा सकता है | डीजल इंजन के विपरीत, यदि किसी प्रकार से अतिरिक्त उर्जा की खपत बढ़ जाए तो भी नाव की मोटर की कार्यक्षमता में कोई कमी नहीं आएगी |
सामान्य रूप से इलेक्ट्रिक मोटर 50 प्रतिशत लोड तथा आपात स्थिति में 100 प्रतिशत लोड पर सक्रीय किया जा सकता है |
उर्जा खपत
इस नाव या नौकायान को लगातार साढ़े पांच घंटे तक संचालित करने पर 110 KWh या यूनिट उर्जा की जरूरत होती है | ( औसतन 20 किलो – वाट बिजली ) |
1 किलो वाट की सौर पट्टिका प्रति दिन 4 किलो वाट उर्जा का उत्पादन करती है | इसलिए इस नाव में लगभग 5 से 8 सोलर पैनल की पट्टिकाए लगी होती है | जिससे उर्जा उत्पादन तथा खपत में संतुलन बना रहता है |
डीजल इंजन की नाव से तुलना
यदि हम सामान्य डीजल इंजन से चलने वाली नाव से इसकी तुलना करें तो यह सामान्य नाव के जीवनकाल में लगने वाले 42,000 लीटर डीजल को यह नाव बचा सकती है | यह पर्यावरण के लिए भी लाभदायक है | तथा इससे हम 112 टन कार्बन डाई ऑक्साइड CO2 के उत्सर्जन को रोक सकते है | ( 1 लीटर डीजल से 2.67 kg CO2 उत्सर्जित होती है |
साथियो, आशा करते है कि आपको सोलर नौकायान नाव के बारे में यह जानकारी पसंद आई होगी जिसे आप अपने दोस्तों व अन्य साथियों के साथ शेयर करेंगे | धन्यवाद |