Battery manufacturers in India || भारत में बैटरी कैसे बनती है ?


साथियों, क्या आपने कभी सोचा है कि हमारे घर में रखी हुई बैटरी को बनाया कैसे जाता है, इसमें क्या – क्या मटेरियल मिलाया जाता है | तथा इस बैटरी को बनाने की पूरी प्रक्रिया क्या होती है |
अगर आपको इन सब बातों के बारे नहीं पता है तो आज आप इस आर्टिकल में जानने वाले है कि एक बैटरी जो चाहे सोलर बैटरी हो या नार्मल बैटरी, इसे कैसे बनाया जाता है |

लेड एसिट बैटरी बनाने की प्रक्रिया


Lead acid battery बनाने के लिए बनाने के लिए कच्चे लेड ( सीसा ) धातु का प्रयोग किया जाता है | सबसे पहले कच्चे लेड धातु के बड़े – बड़े इंगोट को कम्पनी में लाया जाता है | तथा इनकी प्रोसेसिंग की जाती है |

लेड इंगोट प्रोसेसिंग


सबसे पहले कच्चे लेड धातु के इंगोट से प्योर सिलेनियम बनाया जाता है | इसे बनाने के लिए इस लेड को मेटल स्पेक्ट्रो टेस्टिंग मशीन से इसका स्पेक्ट्रा टेस्ट किया जाता है |
इसके बाद हमें इसमें दो सेम्पल प्राप्त होते है | एक सेम्पल 97 % लेड वाला होता है | तथा दूसरा सेम्पल 99 % लेड वाला होता है |

पॉजिटिव ग्रीड कास्टिंग प्रोसेसिंग

पॉजिटिव ग्रीड कास्टिंग प्रोसेसिंग


97 % लेड सेम्पल से ग्रीड बनाया जाता है | तथा 99 % लेड सेम्पल से लेड ऑक्साइड का पाउडर बनाया जाता है |
97 % लेड सेम्पल से ग्रीड बनाने के लिए इसके सिलेनियम को प्रेशर डाई कास्टिंग मशीन में डाला जाता है तथा इससे ग्रीड तैयार हो जाती है |
इस ग्रीड को ही पॉजिटिव ग्रीड कहा जाता है |

नेगेटिव ग्रीड कास्टिंग प्रोसेसिंग


पॉजिटिव ग्रीड की तरह ही नेगेटिव ग्रीड बनाने के लिए दुसरी कास्टिंग मशीन में लेड धातु को डालकर नेगेटिव ग्रीड तैयार की जाती है |

ग्रीड पेस्टिंग प्लेट प्रोसेसिंग


ग्रीड प्लेट्स की पेस्टिंग के लिए सबसे पहले 99 % लेड ऑक्साइड सेम्पल को पेस्टिंग मशीन के उपर लगे मिक्सर में डाला जाता है | इसमें पानी के साथ कई केमिकल तथा एसिड को भी मिलाया जाता है | जिससे लेड ऑक्साइड का पेस्ट तैयार हो जाता है |

ग्रीड पेस्टिंग प्लेट प्रोसेसिंग


इसके बाद पेस्टिंग मशीन में पोसिटिव तथा नेगेटिव प्लेट्स को डाला जाता है तथा उपर लगे मिक्सर से लेड ऑक्साइड का पेस्ट गिरता रहता है | तथा दोनों ग्रीड प्लेट्स की पेस्टिंग हो जाती है |
इसके बाद इन्हें क्यूरिंग चेम्बर में भेजा जाता है |

बैटरी प्लेट्स की क्यूरिंग और ड्राई ओवन


ग्रीड प्लेट्स की पेस्टिंग करने बाद इन्हें मजबूती प्रदान करने के लिए क्यूरिंग चेम्बर में लाया जाता है | तथा यहाँ इन्हें 24 घंटे तक रखा जाता है |

बैटरी प्लेट्स की क्यूरिंग

इसको इस प्रकार समझा जा सकता है जैसे मकान के उपर सीमेंट के लेंटर भरते है उसके बाद उसकी पानी से तरई की जाती है यही प्रोसेस क्यूरिंग चेम्बर की है जिसमे प्लेट्स के उपर नमी डी जाती है
इसके बाद इन्हें ड्राई ओवन में भेजा जाता है |

बैटरी प्लेट्स ड्राई ओवन प्रोसेसिंग


ग्रीड प्लेट्स को 24 घंटे क्यूरिंग चेम्बर में रखने के बाद इन्हें ड्राई ओवन में लाया जाता है तथा यहाँ इन्हें 24 घंटो तक रखा जाता है |

बैटरी प्लेट्स ड्राई ओवन प्रोसेसिंग


इसके बाद इनको 12 घंटे तक खुली हवा में रखा जाता है ताकि इनमे जो भी नमी बची हो वह वातावरण की गर्मी से निकल जाए |

बैटरी असेंबली प्रोसेसिंग

बैटरी असेंबली प्रोसेसिंग


बैटरी असेम्बली प्रोसेसिंग में तैयार हुई ग्रीड की प्लेट्स को लेते है | इसमें एक प्लेट 50 एम्पीयर की होती है | इसके बाद इसमें हम ग्रीड प्लेट्स का एक सेल तैयार करते है जो कि 2 V वोल्ट का होता है |


इसे बनाने के हमें 3 पोसिटिव प्लेट्स तथा 4 नेगेटिव प्लेट्स को लिया जाता है | तथा इन्हें बॉक्स में लगा कर लेड से 7 प्लेट्स का एक सेल बनाया जाता है | इस तरह 2 V का एक सेल तैयार हो जाता है |
इसके बाद 6 सेल के बैटरी कंटेनर में 2 – 2 V के 6 सेल को डाला जाता है |

बैटरी इंटर – सेल वेल्डिंग प्रोसेस


बैटरी के सेल्स को इंटर वेल्डिंग करने के लिए इन्हें इंटर वेल्डिंग मशीन द्वारा वेल्डिंग किया जाता है | लेकिन इसमें सेल्स आपस नहीं मिलते है और न ही एक सेल से दुसरे सेल में हवा जाती है | इस तरह 6 सेल्स को सीरिज में इंटर वेल्ड करके 12 V वोल्ट की बैटरी तैयार हो जाती है |


वेल्डिंग सही हुई है या नहीं, इसके लिये इंटर वेल्डिंग चेकिंग मशीन से चेक किया जाता है |

लेड एसिड बैटरी हीट सीलिंग प्रोसेस


इसके बाद इस बैटरी के कंटेनर को सीलिंग मशीन में रख कर एक टॉप को गर्म करके चिपका दिया जाता है | यह काम सीलिंग मशीन द्वारा ऑटोमेटिक हो जाता है | तथा एक बार सीलिंग होने के बाद बैटरी खुलती नहीं है |

लेड एसिड बैटरी हीट सीलिंग प्रोसेस


बैटरी की सील पेकिंग को चेक करने के लिए इसके उपर एयर प्रेशर मशीन से प्रेशर लगाया जाता है | अगर एयर प्रेशर मशीन प्रेशर नहीं बताती है तो इसका मतलब सीलिंग कही से लीक है तथा इसे ठीक किया जाता है |

बैटरी टर्मिनल इंस्टालेशन

बैटरी टर्मिनल इंस्टालेशन


बैटरी के टर्मिनल्स का कनेक्शन करने के लिए टर्मिनल्स को LPG + ऑक्सीजन से इसे हीट किया जाता है | इसके बाद इसे लेड के साथ गर्म करके कनेक्शन कर दिया जाता है |

बैटरी चार्ज करना


इसके बाद बैटरी में एसिड भरा जाता है | इसे चार्जिंग प्लांट में ले जाकर इसे लगभग 48 से 60 घंटो तक चार्ज किया जाता है | इसके बाद बैटरी में वोल्ट चेकिंग मीटर से वोल्ट चेक करके पूरी तरह चार्ज होने के बाद इसे चार्जिंग से हटा दिया जाता है |

बैटरी चार्ज करना


अगर किसी कस्टमर के बैटरी में एसिड कम हो जाता है तो उसे डिस्टिल वाटर बैटरी में डालना चाहिए जिससे बैटरी में चार्जिंग पूरी तरह से वापस आ जाती है |

बैटरी पैकिंग प्रोसेस


इसके बाद बैटरी को पेकिंग बॉक्स में डाल कर साइड थर्माकोल से पैक किया जाता है तथा सील लगा दी जाती है | इस तरह पैकिंग के बाद बैटरी ग्राहकों तक पहुँचने के लिए तैयार होती है |

तो आज आपने इस आर्टिकल में जाना है कि एक लेड एसीटेट बैटरी कैसे तैयार होती है | इसी तरह की रोचक जानकारी को पाने के लिए इस वेबसाइट को निरंतर विजिट करते रहे तथा अगर आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी पसंद आती है तो इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करे, धन्यवाद |

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Tech Mewadi Team

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