✍️ बन्शीलाल धाकड़
व्यवसाय करने के लिए किसी डिग्री या दुकान होना जरूरी नहीं , हम खेती को भी बना सकते हैं बिजनेस, किसान ने बताया की जब में परम्परागत खेती को छोड़कर आया बागवानी में आया तो न सिर्फ उत्पादन बढ़ा अपितु इसके साथ ही लागत में भी कमी आई और आय में भी बढ़ोतरी हुई मेहनत व भागदौड़ में आई कमी।
खेतो की सूरत बदलने के लिए बहुत ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं हैं बस थोड़े हौसले और जुनून के साथ मृदा ओर पानी की परख और स्थानीय वातावरण को समझने की जरूरत हैं। बस आय के आंकडे कब बदलेंगे पता ही नही चलेगा।
ऐसा ही कुछ कर दिखाया हैं किसान भूराराम चौधरी ने। किसान भूराराम पढ़ाई छोड़कर नोकरी करने चले गए थे परन्तु घर की परिस्थितियों के कारण वापस खेती का कार्य देखना पड़ा परन्तु भूराराम ने पारम्परागत खेती के साथ में तकनीक के साथ आमदनी बढ़ाने वाली नकदी फसल की ओर ध्यान दिया।
किसान भूराराम का कहना हैं कि मेरे स्वयं की 2 हेक्टेयर भूमि हैं जिस पर मैने, 1000 अनार के पौधे लगा रखे है. तथा शेष जमीन पर मिर्ची की खेती करता हुँ और पास में दूसरी जमीन परम्परागत तरीके पर बंटाईदारी पर खेती करते हैं। किसान बताते हैं कि मैने खेती करने से पहले काफी लोगो से अनुभव लिया उसके बाद अनार की फसल लगाने का निर्णय लिया
और वो भी जैविक तरीके से। मैने अनार लगाने के बाद जैविक खेती में अग्रणी मित्र रमेश आँजणा से जानकारी ली व समय समय पर आवश्यक मार्ग दर्शन लेता रहता हूँ । जिससे मुझे जैविक खेती में अच्छा अनुभव हो गया है। उन्होंने बताया कि इससे पहले ग्वार, बाजरा, सरसो, अरंडी की फसल लेते थे जिसमे लागत और उत्पाद समतुलना ही रहिती थी
इसके बाद अनार से मुझे पिछले साल पहले ही साल 5 लाख की अनार और 1लाख की मिर्ची हुई। इस बागवानी से अच्छी उपज मिलने पर रमेश आँजणा के मार्ग दर्शन से इस साल 2000 सहजन के पौधे भी लगाए जिससे इसी साल उत्पादन मिल जाएगा। वहीं मिर्ची के अच्छे भाव के चलते इस साल मिर्ची का भी अच्छा उत्पादन रहेगा ।
किसान का कहना हैं कि , बुवाई का समय, खेती का तरीका बदलने से खेती की आय के आंकड़े हजारो से लाखों में बदला जा सकता हैं । किसान का कहना हैं कि इस साल 10 लाख की अनार, 2 लाख की सहजन , 1 लाख की मिर्ची की फसल हो जाएगी, । ऐसे में किसान की सालाना आय लगभग 13 लाख की हो जाएगी।
पशुपालन में भी अच्छी संभावना है , पशुओं से 3 लाख पारऔर जल्द ही इसे विस्तार देने का विचार है |
किसान ने बताया की, मेरे पास उन्नत प्रजाति की 4 भैंस हैं जिससे प्रति दिन औसत 20 -20 लीटर दुध सुबह शाम मिलता हैं जिससे आय 2000 रुपये होती हैं। तथा खाद खेती में काम आती हैं यदि वो खाद बाजार भाव से बेची जाए तो कम से कम करीब 2 लाख की खाद हो जाती हैं। ऐसे दूध और खाद से सालाना 3लाख से अधिक आय होती हैं।
स्वयं ने संभाली खेती की कमान, भाई को दिलवाई नौकरी
किसान ने परिस्थितियों के अनुसार स्वयं की पढ़ाई छोड़कर खेती की कमान संभाली थी तथा अपने छोटे भाई रामाराम को पढ़ाई के लिए प्रेरित किया तथा नर्सिंग के लिए गंगानगर भेजकर तैयारी करवाई । 2019 में भाई केंद्रीय रेलवे की भर्ती आर आर बी की भर्ती में अंतिम रूप से चयनित हो गया। वर्तमान में भाई रामाराम आसाम रेलवे हॉस्पिटल में कार्यरत हैं।